बेरोजगार का कविता
हो जाती नमआंखे कभी उसकी
और माँ बाप के तानों में जीना दुश्वार हैक्या करे
बन्दा अपना
बेरोज़गार है✅
यारो के विवाह सम्पन्न हुए
और बगल में बच्चे चार है
पर बन्दा अपना
अब भी
🔥 बेरोज़गार है🔥
🆘Note :- हमारे राज्य और देश के सभी संघर्षरत बेरोज़गार अभ्यर्थियों
के मासूम युवा मन की यह अभिव्यक्ति है, प्रत्येक व्यक्ति तक इसेअवश्य प्रसारित करे,,,
💎 अतः यह कविता अपने contact में उस एक व्यक्ति को ज़रूर शेयर करे, जो आपकी नजर में, समाज के लिये बहुत अच्छा काम करने की चाह रखता है...
@raushan_raaz
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