अखियाँ

 अखियाँ


रोये भी ये अखियाँ , किसी में खोये भी ये अखियां
जागे है स्वपन देख के, आंसू लेके सोये भी ये अखियां
देखा है पूरा संसार इसमे  , देखा है गुस्सा और प्यार इसमें
कभी किसी को डराती है , कभी किसी को मोहे ये अखियां
रोये भी ये अखियाँ , किसी में खोये भी ये अखियां

अनपढ़ है लेकिन फ़िर भी  ,सबकुछ पढ़ाये ये अखियां
मौन बैठे मन की , हर एक बात समझाये ये अखियां
कौन ,क्या है यहाँ , सबकी सच्चाई बताये ये अखियां
हर झूठे लोगों को ,दर्पण दिखाये ये अखियां
रोये भी ये अखियाँ , किसी में खोये भी ये अखियां

मुश्किल के  दौर में भी ,साथ निभाये ये अखियां
कभी हँस के तो कभी रोके,  पलके भिगाये ये अखियां
जल रही आग है जो , उसे अश्रू जल से तरोये ये अखियां
ख्वाबों का जो पेड़ बना है, हर एक बीज बोये ये अखियां
रोये भी ये अखियाँ , किसी में खोये भी ये अखियां 😊

                                         संजू कुशवाहा 🖋️🖋️🖋️

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