क्रोध और नियंत्रण

     !! क्रोध और नियंत्रण !!

एक मय की बात है। 
एक राजा घने जंगल में भटक गया। कई घंटों के बाद वह प्यास से व्याकुल होने लगा।
 तभी उसकी नजर एक वृक्ष पर पड़ी जहां एक डाली से टप-टप करती पानी की छोटी-छोटी बूंदें गिर रही थीं।

राजा ने पत्तों का दोना बनाकर पानी इकट्ठा किया,
राजा जैसे ही पानी पीने लगा एक तोता आया और झपट्टा मार दोने को गिरा दिया। राजा ने सोचा 
पंछी को प्यास लगी होगी इसलिए वह भी पानी पीना चाहता था लेकिन गलती से उसने
 झपट्टा मारकर पानी को गिरा दिया।

यह सोचकर राजा फिर से खाली दोने को भरने लगा,
 काफी देर के बाद वह दोना फिर भर गया। राजा ने हर्षचित्त 
होकर जैसे ही दोने को उठाया तो तोते ने वापस उसे गिरा दिया। 
राजा को बहुत तेज गुस्सा आया और उसने चाबुक उठाकर तोते पर वार किया 
और उसके प्राण निकल गए।

राजा ने सोचा अब मैं शांति से पानी इकट्ठा कर अपनी प्यास बुझा पाऊंगा।
यह सोचकर वह डाली के पास वापस पानी इकट्ठा होने वाली जगह पहुंचा तो 
उसके पांव के नीचे की जमीन खिसक गई।

उस डाली पर एक जहरीला सांप सोया हुआ था और उस सांप के मुंह से लार टपक रही थी।
राजा जिसको पानी समझ रहा था वह सांप की जहरीली लार थी।

राजा का मन ग्लानि से भर गया। उसने कहा काश मैंने संतों के बताए उत्तम क्षमा मार्ग को धारण कर क्रोध पर नियंत्रण किया होता तो…
 मेरे हितैषी निर्दोष पक्षी की जान नहीं जाती।

*शिक्षा:-*
जल्दबाजी और बिना सोचे-विचारे किया काम हमेशा परेशानी और
 पश्चाताप का कारण बनता है।

                       By - @raushan_raaz

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