हकीकत जि़दगी की
हक़ीक़त जिंदगी की
घर की छत कच्ची, लटकती तारे ,माटी की ये दीवारें , मुझे सोने नही देती ।
फट्टे हाथ उनके , सने माटियों से ,
हर बूंद पसीने की , मुझे अकेले रोने नही देती।
ख्बाबों की दुनिया तो मेरी भी बहुत बडी है ,
पर क्या करें, हकीकत मुझे ख्बाबों में खोने नहीं देती ।
सोचा अलविदा कहदे ,अब सभी को ,
पर अफसोस , ये हार मुझे अपना होने नहीं देती
By - @raushan_raaz🖊️
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