अपनी मंजिल

         अपनी मंजिल 


ठोकरें अपना काम करेंगी,
तू अपना काम करता चल ...
वो गिराएंगी बार बार,
तू उठकर फिर से चलता चल ...

हर वक्त, एक ही रफ्तार से,
दौड़ना कतई जरुरी नहीं तुम्हारा ...
मौसम की प्रतिकूलता हो,
तो बेशक थोड़ा सा ठहरता चल ...

अपने से भरोसा न हटे,
बस ये ध्यान रहे तुम्हें सदा ...
नकारात्मक ख्याल दूर रहे तुझसे,
उनसे थोड़ा संभलता चल ...

पसीने की पूंजी लूटाकर,
दिन रात मंजिल की राह में ...
दिल के ख़्वाबों को,
जमीनी हकीकत में बदलता चल ...

एक दिन में नहीं लगते,
किसी भी पेड़ पर फल कभी भी ...
पड़ाव दर पड़ाव ही सही,
अपनी मंजिल की ओर सरकता चल॥

________@raushan_raaz

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