The Poem : चाँद गायब रात काली हो गई

 चांद गायब रात काली हो गई


रौशनी की जेब खाली हो गई

रात बैठी थी अमावस ओढ़ कर,
आप आये तो  दिवाली  हो  गई

जब अवध में आपके लौटे क़दम,
सारी  नगरी  नूर  वाली  हो   गई

दोस्ती में लुत्फ़ अब आता नहीं,
दोस्ती अब शर्त  वाली  हो  गई

आदमी को एक पल फुर्सत नहीं,
जिंदगी  रफ्तार  वाली  हो   गई

अब अदब-आदाब तो बस नाम के,
ग़ाएबाना  ख़ुश - ख़िसाली  हो  गई


~ raushan_raaz

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