The Poem : माता का शेर

 📝The POEM: माता का शेर♥️✨



मोल में कभी तोल नही सकते
माँ के सँघर्ष को शब्दों में
कभी बोल नही सकते

अपने आप मे ही वे अनमोल है
त्याग और बलिदान के
अदभुत रंगों का घोल है✨

नाम उसका जीवन मे
कभी छोड़ना नही
वक़्त तुम्हारा
क्षण भर में बदल जाएगा

फीकी पड़ी है अगर किस्मत भी
तो धीरज रख

मां
के नाम का जादू
एक दिन चल जाएगा♥️


📝बिखर जो मैं गया
तो
टूटा न समझना
कभी लफ़्ज़ों को मेरे

झूठा न समझना

शेर हूँ मैं माता का और
शेर ही रहूँगा
मेरी खामोशी को कभी
मेरी


कमज़ोरी न समझना👈


📝 अब क्या कहूँ, और कैसे कहूँ
खुद को कुछ कहा नही जाता
दर्द अब संघर्ष का
आसानी से सहा नही जाता💥

पर मुझे तो जीना है
इस गरल के घूँट को
पीना है

आँखों से बहे अश्रु मेरे
पाक  और  सच्चे  है
हालात ज़िंदगी के, सामने इनके
बहुत  ही  कच्चे  है💥

प्रायश्चित का एक एक आँसू
इन  हालातो  पर भारी है
हा मैं आत्मसंयमी सिंह हूँ
यह दहाड़


🔥अनंत ने मारी है🔥
             By-@raushan_raaz
        

          धन्यवाद♥️✨
       

🔶शिक्षा:- आप को अपने हालातो का सामना करना है,भले मुश्किल और दर्द भरा समय क्यों न हो। आपको हौंसला बनाये रखना है। क्योंकि निराशा से निराकरण नही होता। आशा ही आने वाली सुबह का संकेत है😊


🌎Note:-
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           🌷जय माता दी🌷

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