The Poem : चूर चूर होकर भी, मैं आशा से भरपूर हूँ
📝The Poem
पड़ा हुआ एक दिन लाश सा मैं
और मायूस थोड़ा मंज़िल से दूर हूँ
पर खामोशी के साये में धड़कने कहती है
की आशा से अभी ,मैं भरपूर हूँ
दुनिया चलती है अपने दस्तूर से
पर मैं क्यों हुआ मगरूर हूँ
क्या कहूँ और क्या सुनाऊ हाल अपना
मगर आशा से ,मैं अभी भरपूर हूँ
गुस्सा करे तो करे किस पर
खुद के बनाये हालातो से
मैं तो खुद ही मजबूर हूँ
पर सच यही है ,
विश्वास से भरपूर हूँ...
लाचारी कभी कभी हुई महसूस जीवन मे
पर यह नही है सत्य अमिट और शाश्वत
यही मानने वाला , मैं गुरुर हूँ
हा यही सच है, आशा से भरपूर हूँ ...
खोया खुदको है मैंने मगर
स्वयम को जीतने का ही ,मैं सुरूर हूँ
हो कठिन चाहें राह मेरी पर
हर शूल को फूल बनाने वाला ,मैं फितूर हूँ
हालातों का क्या है
बदलते है बदल ही जाएंगे
मेरे मासूम सपने भी आखिर
इक दिन संवर ही जाएंगे...
खता की है बहुत मैंने मगर
फितरत से तो बेकसूर हूँ
विपरीत क्षणों में भी
खुद को मैं मंज़ूर हूँ,....👌
चूर चूर होकर भी मैं
आशा से भरपूर हूँ....✨
आशा से भरपूर हूँ....✨
धन्यवाद🌻
(माद्यम:@raushan_raaz)
🌎शिक्षा :-प्यारे साथियों जीवन एक सँघर्ष है। हर इंसान की अपनी कमियां है और अपनी ताकते है। आपको बहुत ध्यान से उन्हें पहचानना होगा। और अपनी कमियों को चुन चुनकर मिटाना होगा। यही बेहतर इंसान बनने का मार्ग है♥️✨
📝Only ONE share For पॉजिटिव vibes...
🏐🏐🏐
Comments
Post a Comment