सुनो मेरे प्यारे भारतीय जवानों
📝The Poem:
जाबांज़ भारतीय सैनिक...!🇮🇳सुनो मेरे प्यारे भारतीय जवानों...
गाथा सैनिकों के बलिदान की
अब मै इत्मीनान से गाता हूँ
तो करते है आरम्भ वहाँ से
फौजी जब माँ से कहता कि
माँ भारती की सेवा में मैया
अब मैं जाता हूँ...
सीमाएं राष्ट्र की सुरक्षित करनी है मुझकों
और आतंकवाद से भी वतन बचाना है
तेरी गोद मुझें याद बहुत आती है पर
माँ कर्तव्य निभाने हेतु त्याग दिया
ममता का यह अपार खजाना है...
पोंछकर आँसू माँ की आँखों से
छूकर चरणों को और लगाकर सीने से
वो निकलता है उसी वतन की सेवा में
जो बना है वीरों के खून पसीने से...
जाते हुए देखता है अपनी पाक मुहब्बत को भी
जो आज उसकी हर जन्म की साथी पत्नी है
क्यूँ रोती हो तुम हे प्राणप्रिया
यह माटी तो हम सबकी अपनी है...
मुस्कुराकर ही तुम मुझे विदा करो
यूँ न मायूस होकर कभी जुदा करो
कोई साधारण स्त्री नही तुम
हमनवा हो वीर सिपाही की
यह ध्यान भी हरपल सदा करो...
सुनाकर देशप्रेम की ओजस्वी बातें
वह योद्धा माथे को उसके चूमता है
कहता है उससे कि तुम रखना खयाल अपना
वरना चिंता में तुम्हारी यह मन घूमता है...
लेकर माँ और पत्नी से विदा
जब वो थोड़ा आगे बढ़ता है
दिल रुकता है सहसा बच्चों की चाह में
और अँखियो में अश्रु का सागर चढ़ता है...
नन्ही बिटिया भागकर थामती है पिता को
और राजा बेटा भी एक हाथ पकड़ लेता है
रोते है जब यूँ अपने प्यारे बच्चें
हर सिपाही को तब मासूम मोह जकड़ लेता है...
उठाकर फिर उन नन्हे मुन्नों को
उनके प्यारे प्यारे गालों को चूम लेता है
उछालता है आसमां में और
छोटी छोटी बाहों में उनकी
थोड़ा झूम लेता है...
देखकर ऐसा दृश्य सिपाही की पत्नी
और माँ भी भावनाओं में बिखर जाती है
लगाकर अपने कलेजे के टुकड़ो को सीने से
तन मन से निखर जाती है...
इन जाते हुए लम्हों को
भला कौन रोक पाया है
यादे है वो तो आएंगी ही
इनसे बचें कैसे , कौन सोच पाया है?
आखिर अब करके मजबूत मन
सिपाही वो घर से निकल जाता है
लेकर आया मीठी यादें दिल में
यह सोचकर नयनों का जलबिंदु फिसल जाता है..
ट्रेन की खिड़की पर बैठें बैठें
माँ कि ममता भरी बाते मन में चलती है
याद आती है वो प्यार भरी रातें जिनसे
साँसे हर दिन उसकी पलती है...
नही मिल पाया पिता से आते आते
इस बात का भी मलाल होता है
वो कैसे जीएंगे मेरे बिना
यह भी मन में सवाल होता है...?
कर्तव्य की राह में अडिग होकर के वो
भारत माता के चरणों मे अर्पित होता है
रोता है कभी शायद बच्चों की याद में
पर अंग अंग उसका
राष्ट्रहित में समर्पित होता है...
बनकर के वज्र से दृढ़संकल्पी ये
तपती भूमि और जमती बर्फ में खड़े होते है
उन्हें यूँ स्तम्भित रहते हो जाते बरसों
और यादों में उनकी बच्चे बड़े होते है...
क्या खाया है और क्या नही
उनसे कौन पूछने वाला है
कुछ दर्द है या पीड़ा है कोई
यह कौन सोचने वाला है..?
यह धूप में जलते, पानी में गलते
औऱ जंगल में भी पलते रहते है
जाबांज सैनिक है ये माँ भारती के
प्रत्येक भारतीय नागरिक की सेवा
अनवरत चलते रहते है'अनवरत चलते रहते है...
नही करना कभी निरादर इनका
तिरँगे का वरना कैसे सम्मान होगा
ध्वज की जड़ में जो लाल रंग है
वो इनका है
अन्यथा अथाह शहादत का अपमान होगा...✅
वीरों के ऐसे बलिदानी किस्से सुनकर
हाथ पैरों में बिजली सा करंट दौड़ जाता है
कहाँ है कोई भोग विलास और तृष्णा
इन शुद्ध भावनाओं में मन सब छोड़ जाता है...
ये वही दिलेर है
जो तिरँगे को संभाले हुये है
इनका सम्मान प्रतिक्षण करते रहना
क्योंकि यही वो शेर है जो
माँ भारती के पाले हुए है...!🇮🇳
माँ भारती के पाले हुए है...!🇮🇳
धन्यवाद😊
माध्यम:( @raushan_raaz...
➡️शिक्षा:- प्यारे युवा साथियों भारत का प्रत्येक सैनिक हमारे राष्ट्र की सुरक्षा के लिये समर्पित सिंह है। इनके "प्राणोत्सर्ग और अनवरत बलिदानों" के कारण ही यह भूमि सुरक्षित है। और इनके त्याग तपस्या के कारण ही हम सभी अपने घरों में सुख चैन से जी पाते है। अतः हमें एक सच्चे भारतीय नागरिक के रूप में अपने देश के जाबांज वीरों को याद रख उनके प्रति सदा कृतज्ञ रहना चाहिये। एक ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में यह हमारा कर्तव्य है....
📝भारत देश के जाबांज सैनिको के सम्मान में यह कविता एक व्यक्ति को ज़रूर share करे...
जय हिंद...!🇮🇳
🏐🏐🏐
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