मैं कभी झूक नहीं सकता 💓
📝The Poem:
मैं कभी झुक नही सकता♥️💫विराट लक्ष्य धारण कर,
चला हूँ जीवन में
इसलिये मैं रुक नही सकता
असफलताओं की चोट खाकर भी
मैं झुक नही सकता...
प्रयास जब होकर नाकाम बिखरते है
तो अंग अंग तड़क तड़क जाता है
चूक रह गयी कहाँ पुरूषार्थ में
इस प्रश्न से रोष भड़क जाता है..
इन जटिल और दुष्कर पलों में भी
मैं रुक नही सकता
विश्व कल्याण ही साध्य है मेरा
अतः कभी झुक नही सकता...
ह्रदय की प्रचंड ज्वाला से लेकर अग्नि
अपने हौंसलों की पुनः मशाल जलाता हु
निराशा, हताशा,को करके भस्म
स्वयम को महाविकराल बनाता हूँ...
क्यों डरता है फिर तू
इन मुश्किल घड़ियों में
बनाएं रख संयम
इन टूटी कड़ियों में..
वो नही मैं
जो ठोकर खाकर मर जाऊँगा
नीलकंठ का अंश हूँ
यह विष पीकर भी, जी जाऊंगा...✅
औकात नही इन हालातों की जो
ह्रदय की धधकती अग्नि मुझमें शांत करें
उन हुंकारों का मूर्त होना निश्चित है
जिनका गुंजन "कृतान्त" करें...
देवताओं का सूर्य सा ओज हूँ मैं
खुद में ही खुद की खोज हूँ मैं
आत्मविश्वास अनन्त है मुझमें
स्वयम से कहता रोज़ रोज़ हूँ मैं...
परिणाम से आसक्ति नही रखता
न ही नाकामी को सिर चढ़ने देता हूँ
निष्काम कर्मयोगी हूँ मैं
यही शब्द सिर्फ मन को पढ़ने देता हूँ
रख धैर्य को मस्तिष्क में अपने 👈
तू कोई धूर्त श्रृंगाल नही
सिंह की महाप्रचण्ड दहाड़ है
प्रयास रिक्त हो सकते नही तेरे
निश्चय की दृढ़ता में तू पहाड़ है...
ऐसे अदभुत अदम्य संकल्पों के रथ पर
होकर वज्र सा गति कर रहा हूँ
इसीलिये कभी रुक नही सकता
असफलता की ठोकरें खाकर भी
मैं कभी झुक नही सकता...🔥
मैं कभी झुक नही सकता...🔥
धन्यवाद😊
माध्यम:(raushan_raaz...
📝शिक्षा:- प्यारे युवा साथियों यह " वीर रस युक्त कविता" हमारे आंतरिक बल को सदा जाग्रत रख , जीवन के मुश्किल क्षणों से बाहर निकलने में हमारा साथ निभाती रहेगी...
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