सर्दी का स्वागत

 सर्दी का स्वागत कुछ इस तरह से, 

एक बाल कविता का प्रयास

 

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मफलर झूमे तनी रजाई। 

दाँत बजाती सर्दी आई।

दिन छोटे हो गये सिकुड़ के, 

बढ़ गयी राते की लंबाई।

पिताश्री ने कोट खरीदा, 

मम्मी जी ने शॉल मँगाई।

दीदी जी की नई सहेली, 

बनकर आई ऊन शलाई,।

पूंछ दबाये टॉमी बैठा, 

थर-थर काँपे चूहे भाई ।

घर के बाहर जैसे निकले, 

सर्द हवा ने सुई चुभाई।

खिले धूप तो लगता ऐसे, 

मानो बाँटे शिवम मिठाई।

     __@raushan__raaz

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