मेरे हमसफ़र
सुनो....
हमसफ़र नहीं हो तुम
फिर भी कहीं न कहीं
सफर कर रहे हो तुम मेरे साथ हमेशा ।
कभी बर्फीली पहाड़ियों पर,
कभी आसमान की बुलंदियों पर,
कभी मेरे सामने बैठे हो.....
तो कभी दूर खड़े मुस्करा रहे हो ।
कभी दुनिया की भीड़ में ,
कभी रात की तनहाई में.....
कभी मेरी यादों में, कभी मेरे ख्यालों में ।
सुनो....
मेरे साथ न होकर भी
हर वक्त मेरे ज़हन में हो तुम
मेरे हमसफ़र बनकर ...!!
✍️ @raushan_raaz
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