The Poem : उसकी आँखें मुझको देख रही है...
📝 The Poem: 🔥 उसकी आँखें मुझको देख रही है ...🔥 हां उसकी आँखें मुझको देख रही है मौन लबो से भी कुछ बोल रही है क्या हुआ भारत माँ के पुत्रों को उनके चरित्र को वह तोल रही है... शरीर जीवित नही आज उसका बलात्कार में वह नष्ट हुआ नोचा उसे कामी कुत्तों ने और यौवन उसका भृष्ट किया.. लेकिन तस्वीर से उसकी सामना होता रहता है संवाद आत्माओं का होता रहता है ज़्यादा कुछ तो नही कहती है वो पर दिल उसका अब भी रोता रहता है... सहोदर नही थी पर बहन हमारी है मरने के बाद बनी जान से प्यारी है जो जीवित है अब हमें उन्हें बचाना है मुश्किल में आज भी लाखों बेचारी है.. वो कहती है कि भैया क्यों भोगों में बहकर निराश पड़े हो योद्धा कौन है ऐसे जो हताश लड़े हो निकलों अब इन विकारो के जंजाल से बहुत गिर गए अब तो खड़े हो... ज़िंदा लोगो की नही मानी तुमने तो "अशरीरी" की मान लो इन नश्वर उत्तेजनाओं में कुछ नही है मेरी यह शिक्षा अच्छे से तुम जान लो... एक संवेदनशील अंग के वहशीपन ने देखों मेरा यह हाल बनाया है कहाँ पूजते है वे नारी को बस उन्होंने भोग का माल बनाया है.. मात्र क्षणिक आवेग ने ही किसी माँ के बेटे को दरिंदा बना दिया भ...