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Showing posts from September, 2023

The Poem : उसकी आँखें मुझको देख रही है...

 📝 The Poem: 🔥 उसकी आँखें मुझको देख रही है ...🔥 हां उसकी आँखें मुझको देख रही है मौन लबो से भी कुछ बोल रही है क्या हुआ भारत माँ के पुत्रों को उनके चरित्र को वह तोल रही है... शरीर जीवित नही आज उसका बलात्कार में  वह नष्ट हुआ नोचा उसे कामी कुत्तों ने और यौवन उसका भृष्ट किया.. लेकिन तस्वीर से उसकी सामना होता रहता है संवाद आत्माओं का होता रहता है ज़्यादा कुछ तो नही कहती है वो पर दिल उसका अब भी रोता रहता है... सहोदर नही थी पर बहन हमारी है मरने के बाद बनी जान से प्यारी है जो जीवित है अब हमें उन्हें बचाना है मुश्किल में आज भी लाखों बेचारी है.. वो कहती है कि भैया क्यों भोगों में बहकर निराश पड़े हो योद्धा कौन है ऐसे जो हताश लड़े हो निकलों अब इन विकारो के जंजाल से बहुत गिर गए अब तो खड़े हो... ज़िंदा लोगो की नही मानी तुमने तो "अशरीरी" की मान लो इन नश्वर उत्तेजनाओं में कुछ नही है मेरी यह शिक्षा अच्छे से तुम जान लो... एक संवेदनशील अंग के वहशीपन ने देखों मेरा यह हाल बनाया है कहाँ पूजते है वे नारी को बस उन्होंने भोग का माल बनाया है.. मात्र क्षणिक आवेग ने ही किसी माँ के बेटे को दरिंदा बना दिया भ...

The Poem : राखी सिर्फ कोई धागा नही♥️

 📝 THE POEM:- राखी  सिर्फ कोई  धागा  नही ♥️✨ राखी सिर्फ कोई धागा नही ये तो भाई बहन का प्यार है जिसके बिना तो, ये सारी दुनिया ही बेकार है राखी सिर्फ कोई डोर नही बल्कि विश्वास की नई भोर है,, जिसके कारण,,,भाई बहन कि ज़िंदगी रोशन   होती  चारो  ओर  है ... रक्षाबंधन त्योहार,पर प्यारी बहना , भाई  को  तिलक  लगाती  है मन ही मन वो भाई को अपने हर नारी का सम्मान करते हुए देखना चाहती है... भाई भी भोला भाला सा,,, मन ही मन ये कहता है, जेब खाली है आज मेरी पर सदा खुश रहे,तू दिल यही दुआ देता है ... राखी सिर्फ त्योहार नही एहसासों का मेला है पूछो उससे जिसकी बहन बिछड़ गयी वो कितना अकेला है.. ⚪️ आओ हम अब अपने दिल पर वार करे अब नही खाना सिर्फ घेवर ये ठोस  इनकार  करे .. रेप हुआ,कभी जिसका,,, वो भी तो किसी कि बहना होगी, लुटा जिसके आभूषणों को वो भी किसी भाई के दिल का गहना होगी✅ जिसने नोचा उसकी अस्मत को आखिर वो भी किसी बहन का भाई होगा कौन बहन ये चाहेगी,,कि उसके घर मे आबरू का कसाई होगा..🔥 राखी बंधेगी इस बार भी,बेशक पर हर बहन को भाई स...

The Poem : सरकारी नौकरी

 📝 The Poem: सरकारी नौकरी ♥️✨ सोच तेरी यह भौतिकवाद की इक दिन तुझे खाक में मिलाएगी देह अभिमानि न कर विलास ज्ञान तू यह भी इक दिन चिता में जल जाएंगी... कितने बच्चों को तुमने नोच डाला है इस कलुषित मानसिकता ने मासूम सपनों को , बड़ा खरोंच डाला है.. क्यों तुलना अपनी औलाद की दुनिया से करते हो सरकारी नौकर और धन की ही बस क्यों जी हुज़ूरी करते हो..? सरकारी सेवा अच्छी बात है कोशिश कर रहे है  आपके बच्चे यह भी सच्ची बात है तब भी क्यों तुम  इतने ताने देते हो हर छोटी गलती पर दस बातें कहते हो क्या बस यही पैमाना है जीने का विकल्प एक यही है अब विष पीने का.. जिन्हें न मिली जॉब वो मर जाये क्या दुनिया के तानों से डर जाएं क्या...? आखिर तुम चाहते क्या हो दुसरो को देख उनमें आखिर पाते क्या हो...? अनमोल का मोल समझे नही  तुम तो गलती किसकी समय के सामने नतमस्तक है वो यहाँ नही चलती उसकी... 📝तुम्हे  हीरा नायाब मिला है रेगिस्तान में जैसे कोई गुलाब खिला है दुनिया के दिल  की भांति है वो राजस्थान का जैसे अजमेर जिला है... काल के आगे इंसान का ज़ोर नही चलता है कौन  है यहाँ संघर्ष जिसका कभी न...

Poem : पिता

 🥰 पिता पर खूबसूरत कविता 😇 पिता एक उम्मीद है, एक आस है परिवार की हिम्मत और विश्वास है, बाहर से सख्त अंदर से नर्म है उसके दिल में दफन कई मर्म हैं। पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है, बचपन में खुश करने वाला खिलौना है नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है। पिता जिम्मेवारियों से लदी गाड़ी का सारथी है सबको बराबर का हक़ दिलाता यही एक महारथी है सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है इसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है।                        माध्यम = रौशन राज 

A Story

  कई साल पहले, एक दूरस्थ राज्य मथुरा नामक जगह पर, एक बहुत ही निर्दय राजा था जिनका नाम कंस था। वह एक क्रूर शासक था जो हमेशा अपने राज्य में सत्ता में बने रहना चाहता था। लेकिन एक विशेष आकाशवाणी ने कहा कि उसकी अपनी बहन देवकी का आठवां बच्चा उसकी गद्दी को हर लेगा और उसका वध कर देगा। इस आकाशवाणी ने उसे बहुत डराया। इसलिए, राजा कंस ने अपनी बहन देवकी और उनके पति वसुदेव को एक अंधेरे, उदास कारागार में बंद कर दिया। उसने सोचा कि वो आकाशवाणी पूरा नहीं होने देगा। देवकी और वसुदेव भगवान विष्णु के प्रति समर्पित थे, और उन्हें पता था कि उनका आठवां बच्चा बहुत विशेष होने वाला था। वे अपने बच्चे का आगमन होने का धैर्य से कारागार में इंतजार कर रहे थे। एक जादुई रात को, कुछ अद्वितीय घटना घटी। यह वह रात थी जिसे भगवान कृष्ण के जन्म की रात कहा जाता है, जिसे जन्माष्टमी कहा जाता है। जब घड़ी में 12 बजे, देवकी ने एक सुंदर बच्चा पैदा किया जिसका नाम कृष्ण था। उसकी त्वचा बरसात के बाद की बादल की तरह थी, और उसकी आंखें रात के आकाश में चमक रही थीं। वह थे भगवान विष्णु का आठवां अवतार, कृष्ण भगवान। लेकिन छोटे कृष्ण को राजा कंस...

The Poem : हर अंत नई शुरुआत है।।

 हर आरंभ का अंत सुनिश्चित, हर अंत नई शुरुआत है, रात ढले तो आए सवेरा, साँझ ढले तो रात है। ईश्वर ने जो चक्र बनाया, मानव उसको समझ न पाया, क्यों पतझड़ के बाद बसंत, क्यों जेठ गए बरसात है? हम सब कश्ती, औ प्यादे, जिस घर चाहे खुदा चला दे, अगली चाल का पता नहीं, कब शह मिले कब मात है? सुख सहर्ष अपनाते हैं जब, क्यों देख दुख घबराते हैं तब? सिक्के के दो पहलू अलग हो सकें, नामुमकिन ये बात है। ठहर सका क्या कभी ये जीवन, पल पल हो रहा परिवर्तन, कल जिस गली से उठी थी अर्थी, उसी से गुजरी आज बारात है। पंक्तियाँ : रौशन राज 

The Poem : चीज़ों में कुछ चीज़ें

 चीज़ों में कुछ चीज़ें बातों में कुछ बातें वो होंगी जिन्हें कभी देख नहीं पाओगे इक्कीसवीं सदी में ढूँढ़ते रह जाओगे बच्चों में बचपन जवानों में यौवन शीशों में दरपन जीवन में सावन गाँव में अखाड़ा शहर में सिंघाड़ा टेबल की जगह पहाड़ा और पाजामे में नाड़ा ढूँढ़ते रह जाओगे आँखों में पानी दादी की कहानी प्यार के दो पल नल-नल में जल संतों की बानी कर्ण जैसा दानी घर में मेहमान मनुष्यता का सम्मान पड़ोस की पहचान रसिकों के कान ब्रज का फाग आग में आग तराजू पे बट्टा और लड़कियों का दुपट्टा ढूँढ़ते रह जाओगे भरत-सा भाई लक्ष्मण-सा अनुयायी चूड़ी-भरी कलाई शादी में शहनाई बुराई की बुराई सच में सच्चाई मंच पर कविताई ग़रीब को खोली आँगन में रंगोली परोपकारी बंदे और अर्थी को कंधे ढूँढ़ते रह जाओगे अध्यापक, जो सचमुच पढ़ाए अफ़सर, जो रिश्वत न खाए बुद्धिजीवी, जो राह दिखाए क़ानून, जो न्याय दिलाए ऐसा बाप, जो समझाए और ऐसा बेटा, जो समझ जाए ढूँढ़ते रह जाओगे गाता हुआ गाँव बरगद की छाँव किसानों का हल मेहनत का फल मेहमान की आस छाछ का गिलास चहकता हुआ पनघट लंबा-लंबा घूँघट लज्जा से थरथराते होंठ और पहलवान का लँगोट ढूँढ़ते रह जाओगे कट्ट...

माँ "हिंदी "हमारा अभिमान

 📝 माँ "हिंदी "हमारा अभिमान...♥️ ✨ भारत माता  के तेजस्वी मस्तक पर सजी जैसे कोई दमकती बिंदी है पूर्ण ह्रदय से स्वीकार करो सबको जोड़ने वाली यह भाषा हिंदी है... लिखा है इस भाषा को जैसे उसी अंदाज में बोला जाता है सम्मान करती है भावनाओं का उनकी आत्मा को नही तोला जाता है... सौम्य है और सरल है यह अनेक "फूलों के चमन "की भांति है विविधता में एकता का दर्शन है अथाह शब्द  खुद में समाती है... व्यापक प्रसार है जगत में इसका अभिव्यक्तियों की गज़ब भरमार है योग किया इसने मानवता के हित में नही सिखाया कभी अत्याचार है... जनमानस की वाणी है यह स्वदेशी और स्वराज की पहचान है जिस भाषा से ख़ुद को समझना सीखा जननी तुल्य उसका स्थान है... सम्प्रेषण होता सहज इससे और सुगम सा संचार होता है जो बालक माता कि गोद में पलते उन्हें अपनी माँ से बहुत प्यार होता है... मात्र एक भाषा नही यह बल्कि हमारी "मातृभाषा " है निराशा का निराकरण इसीसे सीखा बिखरे जीवन की यह आशा है.. "नित्य नूतन "होना  है इसकीं आदत समाज की चेतना का विस्तार भी है भावनाएं जब हमारी अभिव्यक्त होती माँ हिंदी ही शब्द रूपी देह...

The Poem :मेरे दोस्त संघर्ष ही जीवन है

 मेरे दोस्त संघर्ष ही जीवन है एक माँ को, शिशु को जन्म देने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। शिशु को जन्म लेने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। मनुष्य को खुद को साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। बीज को पौधा बनने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जंगल में भोजन पाने के लिए जानवरों को संघर्ष करना पड़ता है। बारिश होने के लिए सागर को संघर्ष करना पड़ता है। रंगों को इंद्रधनुष बनने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उपहार स्वरूप मिली चीजों को सहेज कर रखने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। जीवन एक कठिन संघर्ष है हमें संकल्प लेना होगा कि अंतिम साँस तक संघर्ष करना ही हमारी नियति है। - रौशन राज 

गणेश जी और नागराज वासुकी का युद्ध

  गणेश जी और नागराज वासुकी का युद्ध एक बार गणेश भगवान पराशर ऋषि के आश्रम में मुनि पुत्रों के साथ खेल रहे थे, तभी वहाँ पर पाताल लोक से कुछ नाग कन्याएं आयी, उन्होंने भगवान शिव के पुत्र बाल गणेश को देखते ही उन्हें अपने साथ अतिथि सत्कार के लिए पाताल लोक पधारने का आग्रह पूर्वक निवेदन किया। गणेश भगवान उस प्रेम भाव से किये गए निवेदन को ना नहीं कह पाए और उनके साथ पाताल लोक के लिए निकल पड़े। वहाँ पहुँचते ही पाताल लोक वासियों ने उनका स्वागत बड़े प्रेम और आदर भाव से किया। अतिथि सत्कार के कुछ समय पश्चात जब वह सैर पर निकले तब रास्ते में उनकी मुलाकात पाताल लोक अर्थात नाग लोक के राजा वासुकी से हो गई। बालक गणेश जी ने सम्राट वासुकी को विनम्रता से अभिवादन किया, लेकिन वासुकी बातो-बातों में गणेश भगवान का उपहास कर रहे थे, उनके स्वरुप का मजाक उडा रहे थे। यह बात गणेश जी को बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी, इसलिए उन्होंने राजा वासुकी के साथ युद्ध करके उन्हें चारों खाने चित्त कर दिया। युद्ध के अंत में गणेश जी ने वासुकी के फन पर पैर रख दिया, साथ ही उनका निचे गिरा हुआ राजमुकुट उठाकर स्वयं पहन लिया। राजा वासुकी और गणपत...

The Poem : उसकी आँखें मुझको देख रही है

 📝 The Poem: 🔥 उसकी आँखें मुझको देख रही है ...🔥 हां उसकी आँखें मुझको देख रही है मौन लबो से भी कुछ बोल रही है क्या हुआ भारत माँ के पुत्रों को उनके चरित्र को वह तोल रही है... शरीर जीवित नही आज उसका बलात्कार में  वह नष्ट हुआ नोचा उसे कामी कुत्तों ने और यौवन उसका भृष्ट किया.. लेकिन तस्वीर से उसकी सामना होता रहता है संवाद आत्माओं का होता रहता है ज़्यादा कुछ तो नही कहती है वो पर दिल उसका अब भी रोता रहता है... सहोदर नही थी पर बहन हमारी है मरने के बाद बनी जान से प्यारी है जो जीवित है अब हमें उन्हें बचाना है मुश्किल में आज भी लाखों बेचारी है.. वो कहती है कि भैया क्यों भोगों में बहकर निराश पड़े हो योद्धा कौन है ऐसे जो हताश लड़े हो निकलों अब इन विकारो के जंजाल से बहुत गिर गए अब तो खड़े हो... ज़िंदा लोगो की नही मानी तुमने तो "अशरीरी" की मान लो इन नश्वर उत्तेजनाओं में कुछ नही है मेरी यह शिक्षा अच्छे से तुम जान लो... एक संवेदनशील अंग के वहशीपन ने देखों मेरा यह हाल बनाया है कहाँ पूजते है वे नारी को बस उन्होंने भोग का माल बनाया है.. मात्र क्षणिक आवेग ने ही किसी माँ के बेटे को दरिंदा बना दिया भ...

The Poem : सूनी कलाई

  📝 The Poem: सूनी कलाई ♥️ 💫 अपने से लगते हुए भी कुछ लोग अपने होते नही मुश्किल हालातों में टूट जाए जो वो सपने होते नही... अच्छा इंसान होने के लिये मन का सच्चा होना ज़रूरी है नियत साफ और मासूम हो इसलिये दिल का बच्चा होना ज़रूरी है... बच्चों सा साफ दिल था उसका जो तुझसे मिलने आया था रिश्ता बहुत पवित्र है उस भाई का जो बहना के चेहरे पर खिलने आया था होते है भाई फूलों की भांति कलियों सी बहन संग जो महकते है जब करती है बहन चिड़िया बनकर शरारत तो संग संग भैया भी चहकते है... फूलों का क्या है फूल तो झड़ जाते है मासूम लोगो के जीवन में म्रत्यु के पग जल्दी पड़ जाते है पर जाने वाला चला गया उसका एहसास हमेशा हममें ज़िन्दा है जो बहन अपने भाई को प्यार नही जता सकी वो मन ही मन शर्मिंदा है... वो मन ही मन शर्मिंदा है... रोने से कोई वक़्त बदल नही जाता धीरज बिना कुछ सम्भल नही पाता किसीको खोया है मगर ,शिक्षा भी पाई है बहुत तड़पते है वो भाई सूनी जिनकी कलाई है...🔥 सूनी जिनकी कलाई है...🔥 मिल जाए कोई सूनी कलाई तो तुम पवित्रता की एक डोरी बन जाना हर भाई को बहन बहुत प्यारी लगती है तुम भी किसी भैया के जीवन में खुशियों की...